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समान नागरिक संहिता

समान नागरिक संहिता
समान नागरिक संहिता लागू करने का मतलब समझने के लिये हमें हमारे देश के संविधान की तरफ देखना होगा । संविधान निर्माताओं ने देश की सामाजिक धार्मिक सांस्कृतिक आर्थिक राजनैतिक परिस्थ्तिियों को ध्यान में रखकर संविधान में कुछ समुदाय तथा वर्गों को विशेष सहूलियत जैसे आरक्षण तथा विशेष अधिकार दिये गये । अब तक जितनी भी सरकारें इस देष में बनी उन सरकारों ने देष के मूलनिवासी वर्ग को इन सहूलियतों का पूरा लाभ नहीं दे सके और तो और अन्य पिछडा वर्ग समुदाय को शिक्षा नौकरी के साथ राजनीति में भी सहूलियत दी जानी थी मगर उसे तो मानो भूल ही गये । उल्टे आरक्षित वर्ग को अयोग्य होने का प्रमाण देकर हतोत्साहित करने का प्रयास किया जाता है । चूंकि मूलनिवासी वर्ग शासक वर्ग से जनसंख्या की दृष्टि में अधिक दिखाई देने लगते हैं इसलिये वे भय के कारण सहूलियतों को बनाये रखकर उसे पूरा नहीं करने का ताना बाना बुनते रहते है । आज भी लोगों को समान नागरिक संहिता की बात सतही तौर पर राष्टवादी सोच लगती है लेकिन समान नागरिक संहिता का मतलब है संविधान में वर्णित विशेष सहूलियतें पाने वाले वर्ग की सहूलियतों को खत्म करके सभी नागरिकों को समान सुविधाए प्रदान किया जाना । चाहे वह वर्ग आज भी कितना ही पिछडा हो या सामाजिक दृष्टि से प्रताडित हो रहा हो । कहने का मतलब आरक्षण सहित अनु0जाति जनजाति अत्याचार अधिनियम अनु0जाति जनजातियों की भूमि का गैर अनुसूचित वर्ग में नामांतरण आदि अनेक अधिकार से वंचित होना है । यह एजेंडा केजरीवाल की आप पार्टी का भी है । जरा सोचें और समझें ।

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