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अतिवाद और प्रकृतिवादी



हिन्दु धर्म के ठेकेदार कहते हैं यह देख हिन्दुओं का है मुस्लिम विचारक सारी दुनिया को मुसलमान के रूप में पैदा होना बताते हैं । लगातार इस बात पर बहस चल रही है । कहीं धर्मांतरण कहीं घर वापसी यह क्या हो रहा है । सभी आने बाप क्ष्इष्ट द्व को सबका जन्मदाता मालिक बताने में लगे हैं ताकि सभी अपने बाप के बताये धर्म संस्कृति और नियम का पालन करने के लिये बाध्य हों । किसी ने आज तक नहीं कहा कि सबका मालिक मार्गदर्षक प्रकृति है पथ प्रदर्षक प्रकृति सम्मत नियम कायदे हैं घ् सब अपनी ढपली अपना राग अलाप रहे हैं आज जिस धर्म संस्कृति की लोगों को आवष्यकता है उसकी ओर नजर भी फेर कर नहीं देखा जाता समस्त मानवता अपने बाप को भूल गई है । और कुछ लोग जो अभी भी प्रकृति रूपी अपने बाप और मार्गदर्षक की याद करते हैं तो वे पिछडे अज्ञानी कहलाये जा रहे हैं । क्योकि वे धर्मांतरण या घर वापसी के मुददे से परे अपने मार्गदर्षक प्रकृतिवाद का अनुषरण करते हुए इस आस में लगे हैं कि कभी तो मानव अपने असली बाप को पहचानेगा । सही मायने में समझा जाय तो धर्मांतरण घर वापसी या अन्य तर्क केवल भय का प्रतीक हैं प्रत्येक पाखंडी धर्म नहीं अपनी संक्ष्या ताकत को बढाकर अतिवादी बनना चाहता है तकि वह दुनिया में अपना प्रभुत्व कायम कर सके । प्रकृतिवादी दर्षन अतिवाद नहीं संतुलन सिखाता है । अतिवाद षोश्क है ।

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