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गोंडवाना के लिये गोंड परधान की जिम्मेदारी ।" मैं तो गोंडवाना के स्वर्णिम अवसर लाने के लिये

"गोंडवाना के लिये गोंड परधान की जिम्मेदारी ।"
मैं तो गोंडवाना के स्वर्णिम अवसर लाने के लिये गोंडवाना का एक सेवक हूं ।
चाहे कुर्बानी दौलत की या जान की हो इसके लिये सदैव तत्पर हूं ।
भले ही जाति गोंड में ही सही पर उपजाति परधान का हूं जाया ।
मैं ही इस गोंड का साया हूं । भले ना मुझको कभी नहीं भाया ।
पर मुझे इतना ज्ञान है लोंगों । मेरे बिन तुम नहीं हो कुछ गोंडो ।
मेरे बिन मिल नहीं सकते तुम अपने पुरखों से
मेरे बाना के आगे तुम नहीं हो कुछ गोंडो ।
मेरा सम्मान मत करो भी सही ।
बडादेव से क्या कह सको गोंडो ।
मेरे बाना औ कींकरी की कसम ।
चल सको तो चल कर दिखाओ एक कदम ।
बडादेव भी तुमको नकार देवेगा
पिछले पुरखों का हिसाब मागेंगा ।
उसको दिये हिस्से का हिसाब मांगेगा
हिसाब तो रखा है हर साल भाई का गोंडो।
कितना दिया है भाई तो बंटवारा मांगेगा ।
नहीं दिया तो तुम कर्जदार हो छोटे भाई के ।
हिसाब देने के लिये बने हो छोटे भाई के ।
वह तो हर बार तुमसे कहता है
हंसिया कुल्हाडी और थाली का हिस्सा मांगेगा ।
नहीं दिया तो देना होगा तुमको
बडे भाई का फर्ज निभाना है तुमको ।
तुम अपने फर्ज को निभाओ हर दम
वो तुम्हारे लिये खडा है हर दम कदम ।
परधान भाई को जो साथ अपने लेना है ।
उसके विश्वास जीत लेना है ।
कोई भी साथ दे ना दे गोंडों
तेरा छोटा भाई ही साथ देवेगा ।
उसको अलग करके नहीं चल पायेगा ।
बडादेव की स्तुति नहीं कर पायेगा ।
तेरी मजबूरी है गोंडों की हिफाजत करना ।
परधान बनके गोंडों की विरासत रखना ।
तू नहीं तो  हर एक अघूरा हैं गोंड ।
बस इतना ही तेरे आंग में आ जाये बडादेव ।
परधान के साथ ही गोंगोंडों की हिफाजत करना ।-gsmarkam
Part-2
"सुख दुख के खातिर मिलकर एक आशियां बनालें "

साथ साथ चलने की आदत को हम बना लें ।
बिखरे हुए मोतीयों की माला तो हम बनालें ।।
खुदगर्ज होके तुम भी कितनी देर चल सको ।
सुख दुख के खातिर मिलकर एक आशियां बनालें ।।
मूलवासी आदिवासी और भी हैं साथी ।
जीतलो सबका मन कोई ना रहे बाकी ।।
विश्वास से चलता था राज मेरे गोंडवानो का ।
आओ इस गोंडवाना को आज फिर से हम सजालें ।।
देश भी वही है वही लोग हैं अब तक ।
मिटटी का रंग बदला ना पानी का आज तक ।।
तब हमारे सोचने का ढंग क्यों बदला ।
एक हैं तब एकता की छाप तो दिख्खे ।
गोंडवाना के मूलनिवासियों की एक आवाज तो निकले ।।
फिर से ये सोने की चिडिया बन सके भारत ।
बस इसके लिये अपना अपना फर्ज निभा लें ।।
आओ मिलके चलने की आदत को बना लें ।
बिखरे हुए मोती की हम माला बना लें ।।-gsmarkam

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