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"गोंडवाना के आदिवासियों को राजनीति के प्रति अपना माइंड सेट कर लेना चाहिए

"गोंडवाना के आदिवासियों को राजनीति के प्रति अपना माइंड सेट कर लेना चाहिए"
मप्र में गोंडवाना का राजनीतिक आंदोलन शनै: शनै:, सत्ता का बेलेंसिंग पावर के रूप में स्थापित हो चुका है। कांग्रेस के द्वारा गोंडवाना को विभाजित करने के लाख कोशिशों के बावजूद गोंडवाना के सिपाही नहीं डगमगा रहे हैं। इसका परिणाम यह निकलकर सामने आ रहा है कि कांग्रेस को गोंडवाना सहित अन्य दलों के लिए ७० सीटें छोड़ने की प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ द्वारा समाचार माध्यम से अधिकृत घोषणा करने को मजबूर होना पड़ा। गोंडवाना की यह ताकत आदिवासी राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है। जयस जैसा गैर राजनीतिक संगठन भी यदि गोंडवाना के साथ चलकर पश्चिम मप्र में आदिवासी एकता का परिचय देती है तो आदिवासी सरकार की कल्पना को साकार किया जा सकता है। यदि एक साथ नहीं भी होकर जयस पश्चिम क्षेत्र में स्वतंत्र निर्णय लेता है तो गोंगपा को कोई आपत्ति नहीं। परंतु जयस स्वतंत्र चर्चा कर अपना नुकसान होता देख। संविधान,आरक्षण, और आदिवासी अस्मिता के सवालों को दरकिनार कर इन सवालों के विरुद्ध खड़ा होता है तो इसका दोषी वह स्वयं होगा। इसलिए मप्र का आदिवासी अपने माइंड को सेट कर लेना कि वह किसी भी कीमत पर संविधान,आरक्षण,और आदिवासी अस्मिता के साथ खिलवाड़ करने वाले के साथ खड़ा नहीं दिखेगा। या प्रत्यक्ष,परोक्ष रूप से संविधान,आरक्षण,और आदिवासी अस्मिता से खिलवाड़ करने वाली विचारधारा को सहयोग करता हुआ महसूस कराये। कारण है कि समाज की हजार आंखें होती है। वह बहुत सारी हरकतों को देखता है,पर समय आने पर ही  प्रतिक्रिया स्वरुप जवाब जरूर देता है।-gsmarkam

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गोंडी धर्म क्या है

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