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"राजनीतिक दलों में चुनाव प्रक्रिया का संवेदनशील चरण डेमेज कंट्रोल"

"राजनीतिक दलों में चुनाव प्रक्रिया का संवेदनशील चरण डेमेज कंट्रोल"
मप्र विधान सभा चुनाव 2018 में गोंगपा भी अपने समर्थक समर्पित कार्यकर्ताओं और गोंडवाना आंदोलन के वफादारों को लेकर चुनाव मैदान में है । चुनावी प्रक्रिया के आरंभिक चरण का समापन हुआ । प्रत्याशी चयन पर वादविवाद से लेकर अधिकृत उम्मीदवार के पक्ष में नाराज आवेदकों जिन्हें अधिकृत नहीं किया जा सका है की नाम वापसी तक की प्रक्रिया भी काफी कठिन है परन्तु इस चरण को भी हम सफलता पूर्वक सम्पन्न कर लेते हैं तो गोंडवाना आंदोलन को राजनीतिक सफलता अवश्य मिलने वाली है । आप सभी ने देखा है कि राजनीति के इस महासमर में हर छोटे बडे राजनैतिक दल में टिकिट को लेकर नाराजगी दिखी है कोई पाला बदला तो कोई मारपीट किया परन्तु पार्टियां अपने संगठन और समर्थकों के भरोशे चुनाव मैदान में डटी हुई हैं । संगठन में एक एक व्यक्ति महत्वपूर्ण होता है। प्रत्येक संगठन में गुटबंदी स्पष्ट दिखाई देती है इसका मतलब यह नहीं कि कोई भी पदाधिकारी संगठन का नुकसान चाहता है। चुनाव का यह चरण सभी दलों के लिये कठिन होता है । परन्तु समय के साथ सबकुछ ठीक हो जाता है संतुष्ट असंतुष्ट कार्यकर्ता मिलजुलकर अपने संगठन के अधिकृत प्रत्याशी के पक्ष में चुनाव प्रचार में लग जाते हैं इसे ही डेमेज कंट्रोल कहा जाता है । पूंजीपति दल असंतुष्टों को मनाने के लिये धन साधन का प्रयोग करते हैं । गोंगपा के पास धन साधन उसकी गोंडवाना आंदोलन की विचारधारा है यही उसके डेमेज कंट्रोल का हथियार है । जिसे सावधानी से चलाकर गोंगपा प्रत्यशियों को जिताया जा सकता है ।
अत गोंडवाना आंदोलन से जुडे प्रत्येक नागरिक समर्थक समर्पितों सहयोगियों से अनुरोध है कि डेमेज कंट्रोल के इस सोपान को सफलता पूर्वक सम्मपन्न कराने में अहम भूमिका अदा करें । गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंगपा । 

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