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कोरोना आपके आत्मविश्वास से हारेगा।

कौरोना आपके आत्मविश्वास से हारेगा। मेडिकल साइंस मानता है कि किसी रोग को दवा नहीं मारती बल्कि वह उस रोग के कारण आपके शरीर में मौजूद आपकी शरीर को स्वस्थ बनाए रखने वाले विशेष रक्त कण कमजोर हो जाना है। अर्थात उनमें रोग से लडने की क्षमता कमजोर हो जाती है। तब रोग बढ़ने लगता है। जिसे दवा के रूप में उन रक्त कणों को रोग से लडने लायक खुराक देकर मैदान में उतारा जाता है। कुल मिलाकर उनमें प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जाता है। जिसमें क्षमतानुसार जीत और हार तय होता है। भारत देश में आजादी के बाद से लगातार स्वास्थ विषय पर काम होता रहा है पर अभी तक जन स्वास्थ की देखभाल के लिए सुदूर ग्रामीण अंचलों तक इसकी पूरी पहुंच नहीं बन पाई है, परिणाम स्वरुप ग्राम समुदाय आज भी अपने आप को अपने पूर्वजों के दिये घरेलू नुस्खे से इलाज करके बचाने का प्रयास करते हैं। अन्यथा सरकारी व्यवस्था की आस में स्थिति और भी भयावह हो जाती। संकट के अनेक मौकों पर अंधविश्वासी पिछड़ा और ना जाने किस किस ग़लत नाम से संबोधित समूह ने अपने आप का आत्मविश्वास बरकरार रखा। अपूर्णीय नुकसान के बावजूद आज तक जिंदा है। इस समूह में कभी बैचेनी नहीं आई , परन्तु लगातार इसके पर्यावरणीय ज्ञान और आत्मविश्वास से भरे समूह के अनुभव को नजरंदाज कर उसमें हर विषय पर सरकार की व्यवस्था ,आसरा का निर्भर बनाया गया। इस निर्भरता ने उसके आत्मविश्वास को कमजोर कर दिया। निर्भरता से निर्बलता और पिछलग्गू पन आता है जो गुलाम होने का प्रमुख कारण बनता है। आज इस महामारी के संकट की घड़ी में हमें अपने रक्त कणों को मजबूत करने जैसा अपने आत्मविश्वास को मजबूत रखना होगा। सरकारी सहायता या सहयोग पर पूरी तरह निर्भर ना होकर अपने स्तर पर घरेलू उपाय और संसाधन जो आपके पूर्वजों की देन है,का इस्तेमाल करें। पेज पीकर अनाज की कमी पूरी हो सकती है। महुआ से अपने आप को सेनेटराईज किया जा सकता है। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

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