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आदिवासी धर्म कोड/जनगणना

 "जनगणना 2025-26 और "ट्राइबल"

सगा साथियों जैसा कि आपको विदित हो कि आदिवासी/जनजाति से संबंधित विभिन्न संगठनों की धार्मिक शाखाओं ने देश के आदिवासी जनसंख्या वाले राज्यों में पिछले कुछ वर्षो में पृथक धर्मकोड के संबंध में बहुत से सेमिनार किए गए है ,आरंभिक बैठकों में कुछ कुछ असहमति उपरांत सभी धार्मिक/सामाजिक संगठनों ने आम राय से "ट्राइबल" नाम पर अंतिम मुहर लगा दी है , इसका कारण भी है कि 1931 की जनगणना में इस समूह की अंतिम पहचान इसी से हुई संविधान निर्माण के बाद इस समूह की अब तक प्रथक जनगणना की ही जाती है, जो संविधान सम्मत भी है। सामाजिक जागरूकता के चलते इस समूह को धार्मिक शक्ति का एहसास होने पर अपने आसपास चल रही पारंपरिक धार्मिक गतिविधियों को धर्म/पंथ का नाम देना शुरू कर दिया स्थानीय धार्मिक एहसास ने कालांतर में जनगणना 2011 आते आते लगभग 121 तरह के धार्मिक समूह दिखाई दिए यानी "एक ट्राइबल" समुदाय अब 121 रास्ते चलता दिखाई देने लगा सभी बड़े समूहों ने "भारत जनगणना" रजिस्टार से अपने समूह के लिए प्रथक कालम की मांग करने लगे परंतु जवाब में जनगणना रजिस्टार ने सभी समूहों को एकजुट होकर "एक नाम" पर सहमति बनाकर आवेदन प्रस्तुत करने को कहा गया यानी आपके धार्मिक समूह को अप्रत्यक्ष रूप से सहानुभूति दिखाई गई।

अब गेंद हमारे पाले में है , हम जितना जल्दी हो सके , पूर्व आयोजित सेमिनारों के अंतिम पारित प्रस्ताव "ट्राइबल" को ही अंतिम रूप देकर एकजुटता का परिचय दें। यदि तुरंत में कालम ना भी जुड़े तो भी अपनी धार्मिक पहचान " ट्राइबल" के रूप में ही बनाए रखें। चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने आपकी पहचान "नान हिंदू" के रूप में स्थापित कर दिया है। अब ताकत दिखाने का समय आ गया है सभी समूह चाहें तो जनगणना में "ट्राइबल" बताकर पर्यायवाची रूप में अपना अपना धर्म/पंथ को व्यवहार में बचाए रखकर निज समूह को जैसे   गोंडी , सरना  कोया ,आदिवासी आदि शब्द का प्रयोग करें।

"यह वक्त की मांग है वरना जागते हुए सोने का बहाना समुदाय को नुकसान पहुंचा सकता है।"

- गुलजार सिंह मरकाम 

राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन 

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