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tribal population in india


 देष में जनजातियों की जनसंख्या 25 प्रतिषत है ।
                     गुलजार सिंह मरकाम
 भारत जनगणना आयोग देष में जनजातियों की संख्या को लगभग आठ प्रतिषत मानता है। जनजाति वर्ग तथा जनजाति वर्ग पर विभिन्न समस्याओं पर विभिन्न आयामों से काम करने वाले विद्वानों की भी यही धारणा है । लेकिन हमारा ध्यान उस ओर नहीं गया जिसमें जनजातीय पहचान होते हुए भी जनजातियों की सूचि में षामिल नहीं किया गया । जिसके कारण हमें संविधान में जितनी हिस्सेदारी प्राप्त होनी थी नहीं हो पायी । संसदीय कमेटी की षिफारिष के बाद भी देष के एैसे बहुत से हिस्से जिन्हे अनुसूचित धोशित किया जाना था आज तक नहीं हुआ । हमारा ध्यान केवल आठ प्रतिषत हिस्सेदारी की तरफ ही रहा । जनसंख्या आंकडे में अल्प संख्या के कारण हम राश्टीय स्तर पर राजनीतिक ताकत निर्माण करने की हिम्मत नहीं जुटा पाये । अर्थात संख्या हीनता का षिकार होते रहे । विभिन्न प्रदेषों में भी हम अपने षासकीय आकडों के प्रतिषत के आधार पर अपनी मानसिकता बनाये रखे फलस्वरूप जनजाति समुदाय केवल सत्ता समीकरण में तथा प्रषासनिक पदों को प्राप्त करने में दया का पात्र बना रहा । हिस्सेदारी मिली तो ठीक नहीं मिली तो संख्या बल की अल्पता के कारण स्वतंत्र संघर्श का सपना नहीं संजो सके । इस संदर्भ में हमें विचार करने की आष्यकता है । चूंकि धूर्त व्यवस्था ने यह काम सोच समझ कर किया है । जनजातीय संस्कृति संस्कार सामाजिक आर्थिक षैक्षणिक स्थिति के मापदण्ड के आधार पर बिना पक्षपात के सर्वे कर जनगणना की जाती तो इस देष में जनजातीय मापदंण्ड के आधार पर जनसंख्या लगभग पच्चीस फीसदी होती ।
     हमारे देष में वर्तमान समय में तीन तरह की जनजातियां दिखाई देती हैं ।
1.वह जो भारत की जनगणना में अनुसूचित जनजाति की सूचि में उल्लेखित होकर जनजाति वर्ग को राघ्टीय स्तर पर षासन प्रषासन से मिलने वाले आठ प्रतिषत का हिस्सेदारी कर रहा है । भले ही वह जनजातीय होने के मापदंण्ड को पूरा न करता हो ।
2.वह जो जनजातीय मापदण्ड पूरा करता है परन्तु भारत की जनगणना सूचि में अनु0जाति अन्य पिछडा वर्ग  या सामान्य श्रेणी के अंतर्गत है ।
3. तीसरी एैसी जातियां जो सारे देष में निवासरत है तथा जनजातीय मापदण्ड का पालन करती है  लेकिन उन्हें केवल विकासखण्ड स्तर  तहसील स्तर जिला या प्रदेष स्तर पर ही जनजाति माना जाता है । इनके अन्य रिस्ते नातेदार जनजाति होने के बावजूद अधोशित क्षेत्र के पुस्तैनी निवासी होंने मात्र से ही जनजाति की श्रेणी में नहीं हैं ।

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