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"गोन्डी भाषा मानकीकरण"

"गोन्डी भाषा मानकीकरण"पर सोसल मीडिया मे सम्वाद पर चर्चा के तहत :-
अभी कुछ साथियों ने गोन्डी भाषा मानकीकरण के सम्बन्ध में कुछ आशन्का कुछ जिज्ञासा से व्हाटएप में चर्चा चलाया। स्वाभाविक है इस पर चिंता करना ! साथियों सीजी नेट एक पत्रकारिता की विशेष प्रयोगिक पहल है जो मोबाइल के जरिये दूर दराज क्षेत्रों में तथा जहाँ प्रिन्ट मीडिया की पहुंच नहीं होती या आखरी छोर के व्यक्ति की आवाज को प्रिन्ट मीडिया में स्थान नहीं मिल पाता ! अपनी समस्या अपनी आवाज में देश की जनता और शासन प्रशासन तक मोबाइल के माध्यम से पहुंचे ! दबाव बने ! सीजी नेट अपना काम प्रमुखतया हिन्दी भाषा में करता है। स्वास्थ्य स्वरा के नाम पर स्वास्थ्य संबंधी जानकारी जैसे टेलिमेडिसन की तरह कार्य चल रहा है। इसी तरह मोबाइल पत्रकारिता के माध्यम से देश की विभिन्न भाषाओं में इसे चलाया जाता है। आदिवासी भाषा में गोन्डी को पहला माध्यम बनाने के सम्बन्ध में शुभ्रान्शु जी का कहना था कि यह भाषा देश के आठ राज्यों में बोली जाती है। आप लोग अन्य राज्यों के गोन्डी भाषा वाले लोगों से आपस में सन्वाद नही कर पाने से सन्वाद में कठिनाई होती है इससे आपसी सान्सक्रतिक को समझने समझाने में भी कठिनाई होती होगी ? मैंने हा में जवाब दिया । उन्होंने कहा कि हम गोन्डी भाषा में भी सीजी नेट की मोबाइल पत्रकारिता चलाना चाहते हैं। इस पर आपकी राय बताये। तब मैंने कहा कि भाषा के संबंध में हमारे डा०कन्गाली जी हैं उनसे बात करें । तब शुभ्रान्शु जी आचार्य जी से मिले। उनकी बात हुई कुछ दिनों बाद राज्यो के बीच भाषा के अन्तर को कैसे पाटा जाय इस पर सेमिनार की व्यवस्था सीजी नेट ने दिल्ली मे किया आरम्भ सत्र मे आचार्य जी किन्ही कारणो से दिल्ली नही पहुच पाये थे उन्होने अपने प्रतिनिधि के रुप मे इजी०प्रकाश सलामे जी को भेजा था । महाराष्ट्र से गोन्डवाना युनिवर्सिटी से प्रो० कुरेटी जी शामिल हुए थे । कर्नाटक से डा० मैत्रीजी तेलन्गाना से मानिकराव अर्का एवम् टीम जो कोया भाषा पर काम कर रहे है पहुचे थे । आन्ध्रा से नेहरु मडावी शिक्षक एवम् उनकी टीम छ०ग० से दादा शेरसिह आचला जो गोन्डी भाषा के स्कूल चलाते है अपने ग्रुप के साथ शामिल हुए । मध्यप्रदेश से गोन्डी भाषा बोलने और उस पर काम करने वालो मे मेरे सहित शुसीला धुर्वे ,बसन्त कवडे गोन्डी गायक और अन्य साथी पहुचे । काम आरम्भ किया जाना था प्रो० मैत्री जी , प्रो० कुरेटी जी एवम् साथियो के सामने समस्या थी कि हर राज्य की टीम अपने साथ अपने राज्य की डिक्शनरी लेकर पहुची थी । ऐसे मौके पर किस डिक्शनरी को आधार बनाया जाय प्रश्न था । तब यह तय किया गया कि जो डिक्शनरी फोनेटिक सिस्टम से तैयार हे उसी को आधार मानकर काम शुरु किया जाय जिसमे तेलन्गाना राज्य की डिक्शनरी को मान्य किया गया । दिल्ली मे यह काम शुरु हुआ सभी सोचते थे यह जल्दी हो जायेगा लेकिन यह काम इतना आसान नही था पान्च दिनो मे मात्र ५०० शब्दो पर आम सहमति बन पाई । सत्र के दौरान अनेक मीडिया वाले और सान्सद आते रहे प्रतिभागी अपने काम में जुटे रहे । काम अधूरा देख सभी को चिन्ता हुई कि यह काम कैसे पूरा हो तब डा० मैत्री ने सुझाव दिया कि यह काम सरकार को करना चाहिए इसके लिये सभी राज्य के लोग प्रयास करे । इस तरह जिन राज्यों में प्रयास हो पाया उन राज्यों में आदिवासी विभाग ने सीधा सहयोग किया ।अलग अलग राज्यों में सभी साथी डा०कन्गाली जी एवं डॉ मैत्री जी की देख रेख और मार्गदर्शन में कार्य जारी है । दिल्ली छोड़ कर आचार्य जी सभी जगहों पर उपस्थित रहकर सबका मार्गदर्शन करते रहे। भद्राचलम में लगभग २८०० शब्दों पर सहमति बन चुकी थी अब इसे विधिवत् तैयार करने का समय आ गया था तब अन्तिम कार्य के लिये कौन जिम्मेदारी ले इस पर महाराष्ट्र मे अन्तिम रुप दिये जाने हेतु माननीय गोदरु पटैल जुमनाके ने कहा कि यह काम समाज का है सरकार सहयोग दे या ना दे हम इसे आपसी सहयोग से करेंगे।उन्होने आचार्य जी से सलाह लेकर वही घोषणा कर दी। जिसकी अध्यक्षता और मार्गदर्शन आचार्य जी को करना था। हमे इस काम को पूरा करके आचार्य जी के सपना पूरा करना है। रही बात सीजी नेट की तो उनका काम हमारेआपस में गोन्डी भाषा में सन्वाद करने से आदिवासी स्वरा सेक्शन का काम बढता है । पर सभी राज्यो के गोन्डी जन के बीच सन्वाद स्थापित होने से हमारी भाषा मजबूत होती दिखती है । इसलिये शायद आचार्य जी इस कार्य का हिस्सा रहे है । दिल्ली छोडकर सभी कार्यशालाओ मे पूरे पाच दिन का समय देना उनके भाषा के प्रति गम्भीर चिन्ता दर्शाता है ।

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