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"कर्नाटक राज्य में गोंड तथा उसकी उपजाति की स्थिती"


कर्नाटक के रायचूर जिले में वाल्मीकि समुदाय अनुसूचित जनजाति की राज्य सूचि में अधिसूचित है । रायचूर विधानसभा में विधायक भी हैं । 
गोंड,राजगोंड प्रदेश में तथा कुरूबा गोंड रायचूर, गुलबर्गा एवं बीदर जिले में अनुसूचित जनजाति की राज्य सूचि में अधिसूचित हैं । गोंड राजगोंड से कोई भी विधायक नहीं पर कुरूबा गोंड से 12 विधायक राज्य में नेतृत्व कर रहे हैं । धनगड जाति अन्य पिछडावर्ग की सूचि में शामिल है । जनजाति के लिये राज्य में आठ प्रतिशत का आरक्षण है
केवल राजगोंड ही शुद्ध गोडी भाषा बोलते हैं गोंडी धर्म संस्कृति का पालन करते हैं । शेष गोंड की जातियां शैवमतावलंबी हैं पर काफी तादात में वैष्णव मतावलंबी हो चुके हैं । कनकगुरू पीठ के स्वामी से बातचीत के दौरान उन्होने बताया कि कनकगुरू शैवमत के राजा थे जिन्होने प्रजा की सुरक्षा के लिये विजयनगर राज्य के वैष्णव राजा की अधीनता स्वीकारते हुए वैष्णव धर्म का पालन करने लगे थे पर उनका धर्मांतरण के पूर्व का साहित्य मनुवादी व्यवस्था के विरोध का है इसे हम धीरे धीेरे आगे लाने का प्रयास कर रहे हैं । यही कारण है कि स्वामी जी ने उस पीठ में केवल शैवमती झलक मिलती है । स्वामी जी ने अपने प्रबोधन में कहा है कि गोंडवाना और जय सेवा सबसे बडा मंत्र है, इसका प्रसार कनक पीठ से होगा । कनक गुरू के नाम पर राज्य में एक दिन का राजकीय अवकाश घोषित है । धनगड जाति अन्य पिछडावर्ग की सूचि में शामिल है । जो कुरूबा गोंड में शामिल होने का प्रयास कर रहे हैं अखिल भारतीय गोंडवाना गोंड महा सभा के राष्टीय अधिवेशन का आयोजक कुरूबा गोंड के माध्यम से आयोजित था । स्वामी सिद्धारामानंद कुरूबा जनजाति के हैं जो कनकगुरूपीठ के आचार्य हैं । जिस तरह महाराष्ट में धनगड जनजाति होना चाहता है उसी तरह कर्नाटक में भी धनगड जनजाति बनना चाहता है । जो महासभा को स्वीकार्य नहीं है । स्थानीय गोंड राजगोंड समुदाय को कुरूबा के गोंड होने पर आपत्ति नहीं है । पर धनगड के प्रति विरोध स्वर जरूर है ।

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