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आदिवासी और नामित कस्टोडियन राष्ट्रपति की जिम्मेदारी ।

"राष्ट्र पति देश के मालिक आीदवासियों का मात्र संरक्षक है मालिक नहीं "
मेरे भारत के मूलवासी आदिवासियों के देश का हमारे देश के नंपुशक विधायिका (जो लगातार डबल्यूटीओ के जाल में फृसकर हमें भी गुलाम करने का रास्ता बना रही है) एैसे और संसद के जनप्रतिनिधियों के द्वारा चुने गये राष्ट्रपति जी 
जो विधायक और सांसद अपनी आत्मा की आवाज से अपनी अभिव्यक्ति देने के बजाय अपने पार्टी व्हिप(आंतरिक दबाव) पर वोट डाल रहे हैं एैसे जनप्रतिनिधियों के वोट से आप देश के सर्वोच्च पद पर अपना शपथ ग्रहण करेंगे । राष्ट्रपति महोदय जरा ध्यान देना आप केवल आदिवासियों के देश के अंग्रेजो के द्वारा नामित हस्ताक्षरी शासक हो । असली मालिक आदिवासी है आप मालिक नहीं । इसलिये पदग्रहण के साथ आपके मालिकों के हक और अधिकारों को संबोधित अपने राष्ट्र को संबोधित संदेश में यह कहना होगा कि
मैं आदिवासिश्यों के देश का एक नामित प्रतिनिधि हूं इसलिये आदिवासी या देश के मूलवासियों के विरोध में जो भी कानून संसद में पेश होंगे सब होंगे अमान्य होंगे चूंकि मैं आदिवासियों और देश का
मात्र कस्टोडियन हूं । यदि राट्रपति विकास के नाम पर आदिवासियों को नजरअंदाज कर अन्य विकास के नाम संदेश देता है तो आदिवासी इसे नामंजूर करेगा और आदिवासी के कस्टोडियन के रूप में वह अमान्य होगा अतः वह आदिवासियों के हित चिंता के बगैर कोई भी संदेश प्रसारित करता है ,वह आदिवासियों को अमान्य रहेगा । इसलिये राष्ट्रपति जी आपको सोच समझ कर राष्ट्र के नाम संदेश देना होगा
अन्यथा देश का आदिवासी अपना कस्टोडियन बदलने के लिये संयुक्त राष्ट्र संघ में अपील करेगा कि राष्ट्र पति विभिन्न दलों के व्हिप (आंतरिक दबाव) से चुना गया है आदिवासियों की मंशा के विरूद्ध है, इसलिये वह हमारे कस्टोडियन होने के लायक नहीं इसलिये अवैधाीनक माना जाये !-gsmarkam

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