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"मप्र में आदिवासी समुदाय चुनाव 2018 में अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराये ।"

"मप्र में आदिवासी समुदाय चुनाव 2018 में अपनी राजनीतिक ताकत का एहसास कराये ।" 
मप्र में 21 प्रतिशत एकमुस्त जनसंख्या वाला समुदाय यदि मनुवाद की पोषक कांग्रेस भाजपा से टिकिट की भीख मांगे तो तो इससे बडी विडम्बना की बात कुछ नहीं हो सकती । जबकि प्रदेश में आदिवासी नेतृत्व वाला महत्वपूर्ण दल गोंगपा है । क्या आदिवासी इसकी टिकिट से अपनी ताकत को लोहा नहीं मनवा सकता । 
पहले बहाने बाजी होती थी कि गोंगपा विभाजित है । अब तो एक है फिर आदिवासी इधर उधर तांक झांक क्यों करे । 15 प्रतिशत अनुसूचित जाति को एकत्र कर मायावति उत्तर प्रदेश में बार बार सरकार बना सकती है अन्यों को भी अपनी टिकिट पर समुदाय की एकजुटता से जिता सकता है तब मप्र में यह काम आदिवासी समुदाय क्यों नहीं कर सकता । आदिवासी समुदाय विचार करे अवसर सुनहरा है । "दूसरे की गोदी दूसरे का दूध बडा मंहगा सौदा है" -gsmarkam

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