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चुनाव में आरक्षण का झुनझुना

*चुनाव में आरक्षण का झुनझुना*
आरक्षण के मामले में सुप्रीम कोर्ट जब राज्य सरकारों से अनुसूचित जाति जनजाति के रिक्त एवं भरे गए पदों की जानकारी मांग रहा है तब राज्य सरकार यह जानकारी लेकर सुप्रीम कोर्ट को प्रस्तुत क्यों नहीं कर रही है। इसका मतलब मध्यप्रदेश में शासकीय सेवकों की संख्या मैं कहीं ना कहीं धांधली हुई है। जबकि अनुसूचित जाति और जनजातियों की जनसंख्या के अनुपात में अभी तक उनका कोटा पूरा नहीं हुआ है। वही अन्य पिछड़ी जातियों को भी अनुपातिक प्रतिनिधित्व नहीं मिल पाया है। यह आरक्षित जातियां 50% की सीमा को भी लग नहीं रही है। इसका मतलब यह है की सामान्य श्रेणी के लोग 50% शासकीय सेवाओं में भी पूरी तरह काबिज हैं, साथ ही आरक्षित वर्गों के रिक्त पदों को भी सामान्य प्रचारित करके उनमें भी काबिज हैं। इसलिए मध्य प्रदेश की सरकार सुप्रीम कोर्ट को कुल शासकीय पद और रिक्त पदों की जानकारी देने से कतरा रही है। मोटी मोटी जानकारी देकर आरक्षित वर्ग और सुप्रीम कोर्ट को गुमराह कर रही है। सरकार की इस गुमराही के चक्कर में अजाक्स जैसे संगठन भी आ चुके हैं। अन्यथा इतने दिनों में कुल शासकीय पद, रिक्त पद, आरक्षित वर्गों के रिक्त पद की जानकारी लेकर सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत की जा सकती थी। यदि वास्तविक जानकारी नहीं दी गई तो रिक्त पद कभी भी नहीं भरे जा सकेंगे। यही कारण है कि समय समय पर सरकार के द्वारा रिक्त पदों पर सामान्य श्रेणी के लोगों की भर्ती किए जाने का प्रसारण होता रहता है। जागो मूल निवासियों आदिवासियों जागो-gsmarkam

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