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विचारधारा और उपविचारधारा

 अमर शहीद वीर भगत सिंह की शहादत तिथि की याद में समर्पित!!!!!

"विचारधारा और उपविचारधारा"

विचारधारा का विचारधारा से मतभेद स्वाभाविक है होगा ही, होना भी जरूरी है। परन्तु भारत देश में एक ही विचारधारा के अनेक विचारक पैदा हो गये जिसका कारण देश में जाति व्यवस्था है। जातियों ने एक विचारधारा को अपनी जाति/समुदाय, संरक्षण के नाम पर उसे उप विचारधारा के रूप में स्थापित कर लिया, चाहे यह विचारधारा के रूप में सामाजिक संगठन बन गये हैं या राजनीतिक संगठन,भारतीय समाज और संस्कृति इन्हीं उपविचारधाराओं के जाल में फंसकर रह गई है। जिसका हल संविधान में दिया जा चुका है यथा जातियों में वर्गीय मानसिकता के लिए अनु.जनजाति/अनु.जाति/अन्य पिछड़ा वर्ग/अल्पसंख्यक तथा सवर्ण वर्ग के रूप में उल्लिखित है, परन्तु भारतीय समाज अभी भी जातीय मानसिकता से उबर नहीं पाया है,तब विचारधाराओं के अंतर को कैसे समझे। उपविचारधाराओं तथा उनके दोयम दर्जे के विचारकों के पीछे भागती हुई अपनी जनशक्ति को बिखराकर रखती है। समय है आ गया है कि भारतीय समाज देशी,विदेशी,मिश्रित विचारधारा और उनसे उत्पादित उपविचारधाराओं के मार्ग पर चलने वाले सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक संगठनों की पहचान करे।

-गुलजार सिंह मरकाम (gska)

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