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पांचवीं छठी अनुसूचि और प्रशिक्षण


मित्रों 5वीं एवं 6वी अनुसूचि आदिवासी समुदाय के हित संरक्षण का महत्वपूर्ण अध्याय है । इसकी जानकारी समुदाय के प्रत्येक व्यक्ति को होना चाहिये । आप सभी ने इस विषय को सामाजिक पटल पर लाकर इसकी जानकारी महत्ता को बताने का भरसक प्रयास किया है ।
इस विषय पर लगातार जानकारी रूपी आन्दोलन चलाकर काफी हद तक कुछ लोगों को जानकार बनाने का प्रयास किया जिसमें कुछ लोग हक अधिकारों को पाने में सफल भी हुए हैं कई एैसे निर्णय जिसमें 5 वीं अनुसचि ने समुदाय का संरक्षण किया है । परन्तु इतनी जनजागृति काफी नहीं है हमें हर तबका जिसमें जो आज सुविधाभोगी हो जाने के कारण इसे जानने का प्रयास नहीं किया है । या वह तबका जो शिक्षा की कमी के कारण इस जानकारी से अनभिज्ञ है उसे समझाने का प्रयास करना होगा । हमारा अशिक्षित समाज अपने अधिकारों की थोडी बहुत जानकारी लेकर आन्दोलित तो हो सकता है पर उसकी वैधानिकता और क्रियान्वयन कराने के लिये प्रशिक्षित वर्ग की आवश्यकता होगी अधिकारियों कर्मचारियों की आवश्यकता होगी राजनेताओं की भी आवश्यकता होगी यदि इन्हे भी पता नहीं होगा तो वे आपका साथ कैसे दे पायेंगे । आज वे संवैधानिक पदों पर हैं उनसे पावर छीन नहीं सकते तो कम से कम उन्हें समझाकर कुछ वैधानिक सहयोग तो ले ही सकते हैं । मिशन 2018 हमारे राष्टीय जनआन्दोलन का हिस्सा है । जिसे हर तरफ से बुद्धिजीवियों नवजवानो का समर्थ मिल रहा है । जो समुदाय को एक नई उंचाईयों तक पहुचायेगा । इसलिये पांचवी अनुसूचि के प्रशिक्षण कार्यकृम पूरे देश में चलना चाहिये राजनतिक प्रतिबद्धता से उपर उठकर ।
आप सभी को पता है गैर आदिवासी नेतृत्व वाले दलों के लोग इस विषय पर दबाव वश मुखर नहीं हैं कारण कि हमारा समुदाय अभी राष्टीय स्तर पर बडा आन्दोलन नहीं किया है । जिस दिन मिशन 2018 का आनदोलन सफल होगा समाज का हर तबका आपके सहयोग के लिये तत्पर होगा ।
इसलिये बिना किसी भेदभाव या अहंभाव के 5 वीं अनुसूचि से संबंधित हमें किसी भी प्रशिक्षण का कार्यकृम यदि आदिवासी नेतृत्व में चले तो हमें बढचढ कर हिस्सा लेने में कसर नहीं छोडना चाहिये । -गुलजार सिंह मरकाम


"आदिवासी कौन"
देश में आदिवासी कौन ? इसका मापदण्ड उसकी सांस्कृतिक, धार्मिक मान्यतायें ,रीति रिवाज और परंपरायें, तय करेंगी, संविधान नहीं ? संविधान की अनुसूचि केवल सुविधाओं के लिये बनी है । -gulzar singh markam


"आदिवासी की भावनाओं को नहीं समझने वाला कोई नेता अफसर या कोई गैर आदिवासी एजेंसी आदिवासी नहीं हैं।"
यदि कोई गैर आदिवासी अधिकारी ५वी अनुसूचित क्षेत्र में आदिवासियों को आज तक राष्ट्र की मुख्यधारा में लाने में उनके विकास करने में असफल है ऐसे किसी भी अधिकारी चाहे वह कलेक्टर या सहायक आयुक्त हो या गैर आदिवासी कर्मचारी हो उसे इन क्षेत्रों में प्रशासन व्यवस्था से तत्काल हटा दिया जाय । अन्यथा सन्विधान की पान्चवी अनुसूचि के तहत सन्विधान की ५ वी अनुसूचि के उल्लन्घन के लिये सम्बन्धित जिम्मेदार गैर आदिवासी व्यक्ति या एजेंसी के विरुद्ध देश द्रोह का मुकदमा कायम किया जायेगा । इन क्षेत्रों में अब तक आदिवासी पर हो रही भेदभाव पूर्ण और स्वशासन की नीति का खुला उल्लन्घन हुआ है ।

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