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दलों के दल दल से मुक्त होना होगा

"दलों के दल दल से मुक्त होना होगा" "नेता या दल की प्रतिबद्धता ने प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है।" नेता और दल की प्रतिबद्धता ने सदैव जनमत और प्रजातांत्रिक मूल्यों का गला घोंटा है। मप्र नहीं विभिन्न राज्यों में ऐसे कारनामे अनेकों बार हो चुके हैं। यह सब इसलिए होता है कि आम जनमानस को राजनीति की पैंतरे बाजी नहीं आती। जनता ने व्यक्ति को नहीं पार्टी और उसके आका को देखकर वोट दिया है, अब उसे वह बेचे या खरीदे जनता का उस पर कोई बस नहीं चलेगा। जिस दिन जनता व्यक्ति के चाल चरित्र का मूल्यांकन करके वोट करने लगेगी तब वह व्यक्ति जनता के प्रति उत्तरदायी होगा, प्रतिबद्ध होगा,अभी वह दल और दल के नेता के प्रति उत्तरदायी होता है इसलिए दल या नेता जैसा कहता है वह सबकुछ ताक में रखकर वैसा करता है। अब समय आ गया कि जनता को दलों और नेताओं की दलदली राजनीति से मुक्त होना पड़ेगा। दल और नेता के प्रति प्रतिबद्धता रखने वाले प्रत्याशी की परख करनी होगी । अब अपने अपने क्षेत्रों में जनांदोलन खड़ा करके दल विहीन प्रतिनिधि तैयार करना होगा जो जनता के प्रति उत्तरदायी होगा। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)

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गोंडी धर्म क्या है

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“जय सेवा जय जोहार”

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