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गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन

"गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन" गोंड गोंडी गोंडवाना केवल गोंड जाति के लिए नहीं,यह गोंडवाना की विचारधारा को समग्रता से आगे बढ़ाने वाला गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन का आधार है, इसे जाति के संकीर्ण बंधन में बांधने का प्रयास न हो, इसे गोंड जाति की परिधि में बांधकर गोंडवाना के लक्ष्य को हासिल नहीं किया जा सकता। गोंड गोंडी गोंडवाना का लक्ष्य केवल गोंड जाति नहीं, संपूर्ण गोंडवाना का समग्र उत्थान है । गोंड जाति अपने उपजाती के सहोदरों को साथ लिए बिना गोंड गोंडी गोंडवाना,एक समाज एक रिवाज एक आवाज, तथा विरासत रियासत, और सियासत के लक्ष्य को हासिल नहीं कर सकता है। वह गोंड प्रधान, ओझा बैगा अगरिया,गोंडगोवारी आदि महत्त्वपूर्ण अंगों से अलग होकर अपने सामाजिक, धार्मिक, सांस्कृतिक विरासत को अक्षुण्ण नहीं रख सकता। हमारे पूर्वजों द्वारा ग्राम गणराज्य की संरचना अपने गणों को लेकर स्थापित की गई थी। वर्तमान समय में यह कहीं ना कहीं अव्यवस्थित हो चुकी है। उसे व्यवस्थित करने के लिए गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की रूपरेखा तैयार करते समय समुदाय के हर उस अंग को विकसित करने का प्रयत्न किया गया, और किया जा रहा है, जिसमें समुदाय की भाषा धर्म संस्कृति को मजबूत करने वाला साहित्य शाखा,धर्म संसद, सांस्कृतिक नृत्य गायन,आर्थिक शाखा राजनीतिक, मातृशक्ति, युवाशक्ति, कृषि उद्योग व्यवसाय, शिक्षा क्षेत्र, भुमका संघ आदि विभिन्न आवश्यक शाखाओं की मजबूती के माध्यम से ही स्वर्णिम गोंडवाना की परिकल्पना है। गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन की जितनी शाखाएं अब तक संचालित है। उन्हें पुष्ट हो जाना था,परन्तु हर शाखा अपने मूल दायित्व को निभाने की बजाय अन्य शाखा के विषयों पर भी हाथ पैर मारने,दखल देने लगता है। जिससे ना वह खुद पुष्ट होता ना दूसरे को मजबूत होने देता। इसलिए आंदोलन की समस्त पंजीकृत अपंजीकृत संगठन और शाखाएं एक दूसरे से समन्वय बनाकर आगे बढ़ें।यही समन्वय आपको लक्ष्य तक पहुंचने में सहायक होगा। (गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संयोजक गोंडवाना समग्र क्रांति आंदोलन)गो

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गोंडी धर्म क्या है

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“जय सेवा जय जोहार”

“जय सेवा जय जोहार”  जय सेवा जय जोहार” आज देश के समस्त जनजातीय आदिवासी समुदाय का लोकप्रिय अभिवादन बन चुका है । कोलारियन समूह ( प्रमुखतया संथाल,मुंडा,उरांव ) बहुल छेत्रों में “जोहार” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है । वहीं कोयतूरियन समूह (प्रमुखतया गोंड, परधान बैगा भारिया आदि) बहुल छेत्रों में “जय सेवा” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है साथ ही इन समूहों में हल्बा कंवर तथा गोंड राजपरिवारों में “जोहार” अभिवादन का प्रचलन है । जनजातीय आदिवासी समुदाय का बहुत बडा समूह “भीलियन समूह’( प् रमुखतया भील,भिलाला , बारेला, मीणा,मीना आदि) में मूलत: क्या अभिवादन है इसकी जानकारी नहीं परन्तु “ कणीं-कन्सरी (धरती और अन्न दायी)के साथ “ देवमोगरा माता” का नाम लिया जाता है । हिन्दुत्व प्रभाव के कारण हिन्दू अभिवादन प्रचलन में रहा है । देश में वर्तमान आदिवासी आन्दोलन जिसमें भौतिक आवश्यकताओं के साथ सामाजिक ,धार्मिक, सांस्क्रतिक पहचान को बनाये रखने के लिये राष्ट्रव्यापी समझ बनी है । इस समझ ने “भीलियन समूह “ में “जय सेवा जय जोहार” को स्वत: स्थापित कर लिया इसी तरह प्रत्येंक़ बिन्दु पर राष्ट्रीय समझ की आवश्यकता हैं । आदि