Skip to main content

"राष्टता अव्वा लम्बेज , कोयतोड लम्बेज"

"राष्टता अव्वा लम्बेज , कोयतोड लम्बेज"
"कोयतोड लेंग ता लम्बेज मानकीकरण ता माांदी ते उन्दी मांदी मुन्ने अनी पर्रोवात कि नेंड हिन्दी अनी अंग्रेजी लम्बेज तुन वडकेर अनी गुने कीयेड देश ते उन्दी अनी रन्ड जगा ते लक्तेके हैयुड । अन इद देश ता वल्ले राजकीय लम्बेज्क तन्वा राज्यकेने वडकी कोटसी अनी समजे आयता । ईतल लम्बेज्कून राजता राजकी लम्बेज ता मानता हैयू इव लम्बेज्क देश ता संविधान तक्ता ता अरूंग तक्ता ते कोटटे अनी अवेन पर्रो इर्रीले मान पुटटीता । राज्यक्ना राज लम्बेज आतोके अद लम्बेज अव्वा लम्बेज आयाना सुख सियाता । ईतल राज्यक्ने लम्बेजी सुन्ट ता भाव उबजे आयाता । हिन्दी लम्बेज देश ता मुठवा लम्बेज ता जगा तो इरीता हैयू अनी जरूरी बी हैयू । अखर इद हैयु कि हिन्दी लम्बेज देश ता अव्वा लम्बेज हिल बने मायोय । इदेना उन्दी मांदी कि इद लम्बेज देश ता सप्फा लम्बेज्कना लम्क एछिकुन बने माता । हिन्दी मावा राष्ट लम्बेज तो आत, इंगे राष्टता अव्वा लम्बेज ता आयना जगा बसो लम्बेज एताल इद पुन्नेना हैयू ।
गोंडी लम्बेज तीके हूरीतरट ते राष्टता अव्वा लम्बेज आयना सबरो गुन इपेटे दिसिता । तेन हूडीतराड ते दिसिता की नेंड इद लम्बेज देश ता अरूंग राज्यक्ने मघ्य प्रदेश आांध्रप्रदेश तेलांगाना उडीसा कर्नाटक छत्तीसगढ महाराष्ट अनी बंगाल ते 50 लाख वडके कोटटे अनी समजे आयेर्क हैयुर्क जो जुगाधन तल इद लम्बेज तुन वडकीतुर । इच्चोरे हिले इद लम्बेज ता लम्क सांथाली मुण्डारी सादरी कुडुक अनी वल्ले कोयतोरी लम्बेज ते बी वडके आयता । गोंडी लम्बेज तुन बदे सुरक्षा अनी संरक्षण हिल्लेट तानपरो बी इद लम्बेज पिस्तल हैयू । इद लम्बेज ता अव्वा लम्बेज आयाना दिसीता । इद लम्बेज देश ता लम्बेज्कनू मोटो आयले तन्वा लम्क सीता इदने पिस्सीना जरूरी है । नेंड गोंडी लम्बेज तुन पिस्ताना आयल इद लम्बेज राज्यक्ना राज लम्बेज ता असर ते मारीलात अनी नेंड उडिया गोंडी तेलगू गोंडी मराठी गोंडी छत्तीसगढी गोंडी हिन्दी गोंडी वडके मानवाल कोयतोरी लम्बेज ते आपुस ते हिल वडकापरूर। इदेना उन्दी मानक लम्बेज आई इद काम बूता नाय उन्दी निक्को मांदी आत इवटे कर्नाटक छत्तीसगढ महाराष्ट तेलांगाना आन्ध्रप्रदेश मध्यप्रदेश तोर गोंडी वडकेर मुठवालो अनी कोयतुर सांसद वासीमत्तोड । इपेटे लम्बेज मानकीकरण नाय लम्क ना परो मांदी आत अन गोंडी लम्बेज तुन सांविघान तक्ता ता अरूंग तक्ता ते दस्सीनाय समर्दीक किरिया एतुर । तान नाय देशतोर मानवाल्क समद संगठन अनी मुठवालून कैदा मिन्नैत हैयू कि उन्दी आसीकुन गोंडी लम्बेज तुन सांविघान तक्ता ते इरीनाय बूता कीम्ट ।'
मिन्नैत
गुलजार सिंह मरकाम
गोंडी लम्बेज मानकीकरण समिति
09329004468

Comments

Popular posts from this blog

"मरकाम गोत्र के टोटम सम्बन्धी किवदन्ती"

मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत

गोंडी धर्म क्या है

                                          गोंडी धर्म क्या है   गोंडी धर्म क्या है ( यह दूसरे धर्मों से किन मायनों में जुदा है , इसका आदर्श और दर्शन क्या है ) अक्सर इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। कई सवाल सचमुच जिज्ञाशा का पुट लिए होते हैं और कई बार इसे शरारती अंदाज में भी पूछा जाता है, कि गोया तुम्हारा तो कोई धर्मग्रंथ ही नहीं है, इसे कैसे धर्म का नाम देते हो ? तो यह ध्यान आता है कि इसकी तुलना और कसौटी किन्हीं पोथी पर आधारित धर्मों के सदृष्य बिन्दुवार की जाए। सच कहा जाए तो गोंडी एक धर्म से अधिक आदिवासियों के जीने की पद्धति है जिसमें लोक व्यवहार के साथ पारलौकिक आध्यमिकता या आध्यात्म भी जुडा हुआ है। आत्म और परआत्मा या परम आत्म की आराधना लोक जीवन से इतर न होकर लोक और सामाजिक जीवन का ही एक भाग है। धर्म यहॉं अलग से विशेष आयोजित कर्मकांडीय गतिविधियों के उलट जीवन के हर क्षेत्र में सामान्य गतिविधियों में संलग्न रहता है। गोंडी धर्म

“जय सेवा जय जोहार”

“जय सेवा जय जोहार”  जय सेवा जय जोहार” आज देश के समस्त जनजातीय आदिवासी समुदाय का लोकप्रिय अभिवादन बन चुका है । कोलारियन समूह ( प्रमुखतया संथाल,मुंडा,उरांव ) बहुल छेत्रों में “जोहार” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है । वहीं कोयतूरियन समूह (प्रमुखतया गोंड, परधान बैगा भारिया आदि) बहुल छेत्रों में “जय सेवा” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है साथ ही इन समूहों में हल्बा कंवर तथा गोंड राजपरिवारों में “जोहार” अभिवादन का प्रचलन है । जनजातीय आदिवासी समुदाय का बहुत बडा समूह “भीलियन समूह’( प् रमुखतया भील,भिलाला , बारेला, मीणा,मीना आदि) में मूलत: क्या अभिवादन है इसकी जानकारी नहीं परन्तु “ कणीं-कन्सरी (धरती और अन्न दायी)के साथ “ देवमोगरा माता” का नाम लिया जाता है । हिन्दुत्व प्रभाव के कारण हिन्दू अभिवादन प्रचलन में रहा है । देश में वर्तमान आदिवासी आन्दोलन जिसमें भौतिक आवश्यकताओं के साथ सामाजिक ,धार्मिक, सांस्क्रतिक पहचान को बनाये रखने के लिये राष्ट्रव्यापी समझ बनी है । इस समझ ने “भीलियन समूह “ में “जय सेवा जय जोहार” को स्वत: स्थापित कर लिया इसी तरह प्रत्येंक़ बिन्दु पर राष्ट्रीय समझ की आवश्यकता हैं । आदि