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"राजस्व और वन विभाग की घोषित सीमा से ऊन्चा दर्जा है ग्राम की घोषित पुरातन पारम्परिक सीमा का "

(1) "राजस्व और वन विभाग की घोषित सीमा से ऊन्चा दर्जा है ग्राम की घोषित पुरातन पारम्परिक सीमा का "
हमारे देश में सामान्यतः दो विभागों, वन एवं राजस्व विभाग को भूमि का रिकार्ड सन्धारण की जिम्मेदारी दी गई है जिनके पास शासकीय अशासकीय निजी, उपयोगी अनुपयोगी भूमि का रकबा , सीमा का नक्शा होता है । वन और राजस्व विभाग हमारे ग्राम की सीमा का निर्धारण करते हैं । इस निर्धारण ने ग्राम की परम्परागत सीमा मेढक या सीवान को नजरन्दाज कर दिया जबकि अन्ग्रेजी सरकार भी इस पारम्परिक सीमा का सम्मान करते हुए अपना रिकार्ड सन्धारित करती थी । कथित आजादी के बाद परम्परागत सीमा की अवहेलना के कारण भूमि ग्राम की माल्कियत से निकलकर वन एव राजस्व के कब्जे मे चली गई । ग्राम ठगा सा रह गया । परन्तु देश मे पहला मौका वर्ष २००६ मे "वनाधिकार कानून" के रूप मे आया जिसमे ग्राम की परम्परागत सीमा को कानूनी मान्यता दे दी । अब परम्परागत सीमा राजस्व और वन सीमा से मुक्त होकर आपकी परम्परागत ग्राम सभा के निर्णय को सर्वोच्च प्राथमिकता दे दी गई है। अफ आदिवासी इसे कैसे हासिल करे यह उसकी जागरूकता और ज्ञान पर निर्भर है। इस सम्बन्ध में हमारे पास जो भी जानकारी होगी जनहित में जरूर शेयर करेंगे।

(2) "ग्राम की परम्परागत पत्थल गढी क्या है ?"
पाचवी अनुसूची पर काम करने वाले बहुत से साथी शायद इसे जानते हो या नहीं पर इस काम में लगे इससे जरूर समझे । ग्राम की पत्थल गढी वह है जिसे आदिवासीयो के पूर्वजों ने ग्राम स्थापना के समय ग्राम मुखिया की देखरेख में बैगा /पुजारी एवं उनके १३ साथियों के माध्यम से विशेष सान्स्क्रतिक धार्मिक अनुष्ठान करते हुए अपनी ग्राम की सीमा का निर्धारण करते थे। निर्धारित सीमा के चारों ओर धार्मिक अनुष्ठान कर ग्राम की ओर आने जाने वाले रास्ते में पत्थर गडाया जाता था इस सीमा को सीवाना /सरहद/मेढा कहा जाता है जिसे अन्ग्रेजी राज ने भी राजस्व रिकार्ड मे ग्राम की सीमा के रूप मे स्वीकार किया था जो आज तक मान्य है । यही ग्राम की रूढी परम्परा की सीमा है । सीमा मे गडा पत्थर ही पत्थल गढी है । आदिवासियो को उन पत्थरो को खोजकर ग्राम का नक्शा यदि नही है तो तैयार करना होगा । उस सीमा मे कितने तालाब नदी पेड पौधे जानवर पक्षियो की गणना उस सीमा मे खनिज पदार्थो की जानकारी का सन्धारण करके रखना ग्राम जन्म म्रत्यु गाव सीमा मे कब कौन बसा इत्यादि का ग्राम की परम्परागत स्थाई समिति के पास रिकार्ड सन्धारित रहे यही है पत्थल गढी ग्राम सीमा की परम्परागत पूजनीय स्थल/गढ या गढी । साईन बोर्ड पत्थल नही यदि साईन बोर्ड की उपयोगिता को दर्शाना है तो उसमे अपनी ग्राम सीमा का नक्शा तालाब नदियो की जानकारी जनसन्ख्या की जानकारी सहित अन्कित करे । ऐसी जानकरी युक्त साईनबोर्ड को उखाडकर ले जाने वाले किसी व्यक्ति तन्त्र के विरूद्ध आपराधिक कार्यवाही के लिए दन्ड का प्रावधान है । पत्थलगढी हमारी आस्था से जुडा है , इसको इसी परम्परा से क्रियान्वित किया जाय ।




(3) "आदिवासियों की रूढि परंपरा को विधि का बल पूर्वजों के मुख्य मार्ग पर चलने से प्राप्त है । "
धर्मांतरित आदिवासी चाहे वह हिन्दू बना हो या ईसाई,आदिवासियों की परंपरागत रूढी प्रथा और संस्कारों से दूर हो चुका है। "आदिवासियों की रूढि परंपरा को विधि का बल पूर्वजों के मुख्य मार्ग पर चलने से प्राप्त है । " मुख्य मार्ग से भटकने वालों से नहीं ।-
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