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"राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और आदिवासी हित"

"राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और आदिवासी हित"
राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग की उच्चस्तरीय टीम का आयोग के अध्यक्ष के नेतृत्व में जनजातियों की स्थिति पर विमर्श के लिये मध्यप्रदेश में दौरा हो रहा है ।
कार्यकृम विवरण :-
(1) दिनांक 25 10-2017 छिंदवाडा रेस्ट हाउस 11 बजे से
(2) दिनांक 26 10-2017 होशंगाबाद रेस्ट हाउस 11 बजे से
(3) दिनांक 27 10-2017 भोपाल सर्किट हाउस 11 बजे से
आदिवासी समाज के बन्धुओं से अनुरोध है कि इस टीम के साथ विमर्श में भाग लें और स्थानीय समस्या के साथ निम्न बिन्दुओं का ज्ञापन जरूर प्रस्तुत करें ।
1- मध्यप्रदेश राज्य में पांचवीं अनुसूचि के कानून के उचित क्रियान्वयन के लिये नियम बनाया जाये ।
2- म0प्र0 राज्य जनजातीय मंत्रणा परिषद का अध्यक्ष पद जनजाति के लिये सुरक्षित किया जाय ।
3- मध्यप्रदेश के समस्त 89 घोषित आदिवासी विकासखण्डों तथा घोषित आदिवासी जिलों में खण्ड विकास अधिकारी और सहायक आयुक्त आदिवासी विकास केवल जनजाति वर्ग से हो ।
4-पांचवीं अनुसूचि के अंतर्गत आने वाले समस्त विकासखण्डों और जिलों में नगरनिगम,नगरपालिका तथा नगरपंचायतों की व्यवस्था को समाप्त किया जाकर आदिवासी स्वायत्त परिषदों का गठन किया जाय ।
5-आदिवासियों की परंपरागत रूढी पंचायत व्यवस्था की कमेटियों के मुखियाओं को जिला और विकासखण्डों की प्रत्येक प्रसानिक इकाई में भागीदारी सुनिश्चित किया जाय ।
6.वनाधिकार कानून के तहत आदिवासियों को मिले अब तक के लाभ और हानि की समीक्षा के लिये आदिवासियों को लेकर एक उच्चस्तरीय जांच कमेटी बनाई जाय ।
7. अभी अभी म0प्र0 शासन के सचिव द्वारा आदिवासियों की जमीन गैर आदिवासियों को बेची जा सकती है इस बयान को संज्ञान में लिया जाय तथा कथित आदिवासियों के इंदौर कोर्ट में दी गई याचिकाकर्ताओं के पीछे किन लोगों का हाथ है इसकी भी उच्चस्तरीय जांच की जाये । -gsmarkam

-"पांचवी अनुसूचि लागू होने क्रियान्वयन के लिये आवश्यक बिन्दू"
"परंपरागत रूढी पंचायत की ग्राम सभा और पेसा कानून की ग्राम सभा"
लोग अभी रूढी परंपरा की ग्राम सभा और पेसा कानून के अंतर्गत पंचायत राज उपबंध के अंतर्गत आने वाली ग्राम सभा में अंतर को समझ नहीं पा रहे हैं जिस दिन इसके अंतर को समझ पायेंगे उस दिन आदिवासी अपनी बात को मनवाने में सफल होंगे । तब अन्य धर्म को मानने वाले लोगों के लिये कठिनाई आने वाली है एैसे लोग या तो अपने मूल धर्म रूढी परंपरा में वापिस होगे या अपने अधिकार खो देंगे ।
रूढी पंचायत आदिवासियों की परंपरा की बात करती है यदि इस पर कोई आदिवासी समूह खरा नहीं उतरता वह कैसे इस रूढी पंचायत का हिस्सा हो सकता है । धर्मांतरित आदिवासी इसका हिस्सा कभी नहीं हो सकता क्योंकि वह आदिवासियों की परंपरा से भिन्न क्रियाकलाप करता है ।-gsmarkam

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