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"आदिवासियत (tribalism)ही भारत देश की असली मुख्यधारा है ।"

"आदिवासियत (tribalism)ही भारत देश  की असली मुख्यधारा है ।"

जानकारी के अभाव मे या अहन्कार की आत्मतुष्टि के कारण इस तथ्य को भले ही कोई स्वीकार करे या ना करे पर मेरा मानना है कि आदिवासियत (tribalism)ही भारत देश  की असली मुख्यधारा है । इसलिये गोन्डवाना के आदिवासी दलितो, पिछडे वर्ग के बन्धुओ, शूद्रत्व या दोयम दर्जे से मुक्ति पाना है तो इस देश की मुख्य धारा "आदिवासियत (tribalism)" को स्वीकार करना होगा । कारण भी है  कि हजारों साल के विदेशी सान्सक्रतिक राजनीति आक्रमण के बाद भी आदिवासियो ने देश की मुख्यधारा जिसमें भेद रहित मूल सामाजिक व पन्च परमेश्वर की नैसर्गिक न्याय व्यवस्था, देश की मूल भाषा ,सन्सक्रति,धर्म, रीति रिवाज और परम्परागत व्यवस्था को कायम रखा हुआ है। जिसके प्रमाण आपको ग्राम्य जीवन में देखने को मिल जाता है। आज भी ग्राम के देवी देवता जिनमें , खेरमाई, माता माई या याया देश के हर गाँव में विराजमान है, खीला मुठवा, भीमालपेन भीलटबाबा या पटैल बाबा जैसे ग्राम के रक्षक माने गये आराध्य पर आपकी आस्था समाप्त नहीं  हुई है। भले इन आराध्य देवी देवताओं को आप भाषाई भिन्नता के कारण अलग नाम से जानते हैं । आपको जानकार आश्चर्य होगा कि देश की मुख्यधारा के इन देवी देवताओं का नाम  तथा उनके पूजा पद्धति का उल्लेख किसी हिन्दू ,मुस्लिम,सिख,इसाई, बौद्ध जैन या पारसी धार्मिक ग्रन्थो मे नही है । ऐसे धर्म जो या तो विदेश से यहा पहुचे या फिर किसी कारणवश हमारे देश मे ही पैदा हुए । ऐसी धर्म, सन्स्क्रतिया , परम्पराये देश की मुख्यधारा की अगुआई कैसे कर सकती है । देश की मुख्यधारा की अगुवाई का हकदार आदिवासियो और नैसर्गिक ग्राम्य व्यवस्था की मूल रूढी परम्पराये है । जो सरक्षण के अभाव मे निरन्तर कमजोर हो रही है । देश का मूलवासी मूलनिवासी ज्यो ज्यो देश की अपनी मुख्यधारा से हट रहा है वह परसन्सक्रति ग्रहण का शिकार होकर कही शूद्र अछूत ,पिछडा तो कही वनवासी जैसे नामो से सम्बोधित हो रहा है । इसी क्रम मे उसके साथ दोयम दर्जे का व्यवहार भी किया जाता है । असलियत में देश की मुख्यधारा ग्राम्य परम्पराएं मान्यताएँ और उसकी जीवन धारा का सतत् प्रवाह है । विदेशी विचारधाराओं पर आधारित व्यवस्था कायम करने वाले धूर्त लोग इनकी अपनी धारणा को इस देश की मुख्यधारा के रुप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं । जो उनकी तथाकथित मुख्यधारा में नहीं फसता उसे  अलगाववादी, नक्सलवादी या धर्म विरोधी ,देशद्रोही बताकर बदनाम करने का प्रयास किया जाता है। मित्रों देश की असली मुख्यधारा पुन अन्गडाई लेने को तत्पर है । मुख्यधारा के सन्सकार परम्पराये, महापुरूष, देवी देवताओ के प्रति आस्था विश्वास और इतिहास खन्गाला जा रहा है । इसलिये गोन्डवाना भूमि के आदिवासियो,दलितो तथा अन्य पिछडे लोगो , यदि शूद्त्व और दोयम दर्जा से मुक्ति पाना है तो देश की देशी असली मुख्यधारा जिसके अवशेषो को आदिवासी सहेजकर रखा है उसके प्रवाह को मजबूती देकर पुन् हमारे देश को स्वस्थ, सम्रद्ध  और सुन्दर बनाने का प्रयास करें ।-gsmarkam

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