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"गोंडवाना भूमि के आदिवासी नवजवानों आगे बढो"


1“आने वाले समय का राजनीतिक विपक्छ”
भाजपा अब खुद के विरूद्ध प्रायोजित विपक्छ (विरोधी) का विकल्प तैयार करने में जुटी है ताकि असली (विरोधी) विकल्प (विचारधारा से)को कमजोर करने करने का प्रयास कर रही है ताकि प्रायोजित विपक्छ का उपयोग वह अपने तरीके से सीटो पर उनके उम्मीदवार खडा करके लाभ ले सकें । इस चुनावी गणित को समझने में कुछ परेशानी हो सकती है पर सीधा सीधा ऐसे समझा जा सकता है कि राजनीतिक विचारधारा v/s प्रायोजित राजनीतिक विचारधारा का विपक्छ । -gsmarkam

2. "गोंडवाना भूमि के आदिवासी नवजवानों आगे बढो"
गोंडवाना भूमि के आदिवासी नवजवानों राजनीति या समाजनीति हो समुदाय के हित में किसी भी विधा में खुलकर भाग लो , तुम्हें किसी राजनीतिक दल या संगठन का पिछलग्गू नही बनना है , समुदाय के दिल दिमाग में बस इतनी बात भर दो कि “जमाना हमसे है हम जमाने से नहीं । उदाहरण है “ लखमा कवासी” विधायक कोंटा बस्तर छ०ग० जिसे पार्टी घर जाकर टिकिट देती है । इसलिये कहा गया है कि "खुद को इतना बुलंद कर कि, खुदा तुझसे पूछे कि तेरी रजा क्या है" युवा, वायु का दूसरा रूप है, वह हवा का रूख बदल सकता है । शर्त इतनी है कि वह "एक सोच,एक विचार के साथ एक व्यवहार पर अमल करे ।-gsmarkam

3."देश की कथित सभी जाति के लोग जनजाति की सूचि में ही शामिल होना चाहते हैं , पर वे जनजाति की धर्म,संस्कृति परंपरा और स्वभाव का अनुशरण नहीं करते तब क्या उन्हे जनजाति की सूचि में शामिल होने का हक है ? नहीं वे लोग केवल शासकीय लाभ के लिये शामिल हो रहे हैं , इनका भरपूर विरोध हो ।"gsmarkam

4.तेलंगाना की गोंडी भाषा में महीनों के नाम
१. चैत
२. बावई
३. बुड बावई
४. आकाडी
५. पोरा
६. अकुर पोक
७. दिवाडी
८. कार्ती
९. सट्टी
१०. पूष
११. महा
१२. दुराडी
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