Skip to main content

"मप्र में गोंडवाना की राजनीति और कुत्ते बिल्ली का खेल"

part-1 "मप्र में गोंडवाना की राजनीति और कुत्ते बिल्ली का खेल"
चुनाव 2018 नजदीक है सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी राजनीतिक बिसात बिछाने में लगे हैं । सभी दल अपने राजनीतिक बेनर के साथ मैदान में आ रहे हैं एैसी स्थिति में गोंडवाना की राजनीति करने वाले दलों में अभी भी कुत्ते बिल्ली का खेल जारी है । इस खेल में कोई खुलकर सामने नहीं आ रहा है इससे समाज और राजनीतिक विश्लेषणकर्ता गोंडवाना की राजनीतिक मूल्यांकन करने में स्पष्ट नहीं हैं । यह तो स्पष्ट है कि मप्र में गोंडवाना के दो प्रमुख राजनीतिक घटक अभी विद्धमान हैं भागोंपा और गोंगपा दोनो दलों के कार्यकर्ता अंदरूनी तौर पर यह जानते हैं कि कौन किस दल से संबंधित है । समुदाय से दोनों दलों को वोट लेना है । इसलिये दोनों दलों के कार्यकर्ता अपनी बात को लेकर आगे बढें ये नहीं कि समुदाय को गुमराह करें कि हम सब एक हो गये हैं क्या एैसा करके हम समुदाय को अंधेरे में तो नहीं रख रहे हैं । मेरा मानना है कि एक हो चुके हो तो आपस में कोई ठोस निर्णय हुआ है स्पष्ट करें केवल गुमराह करके समुदाय को ज्यादा देर तक बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता । भागोंपा के कार्यकर्ता लगातार पूर्ण स्पष्टता के साथ अपनी टीम की स्पष्टता के साथ आगे बढ रहे हैं वहीं गोंगपा के कार्यकर्ता अपने मुखिया के आचरण की तरह बिना स्पष्टता के साथ समुदाय को गुमराह कर रहे हैं जो उनके लिये ही घातक है । पूर्ण स्पष्टता के साथ गोंडवाना का राजनीतिक भविष्य कैसे निर्धारित होगा इस पर अपने विचार रखें । अभी कुछ दिनो पहले मप्र कांग्रेस के कुछ शीर्ष नेताओं से मुलाकात का अवसर मिला उनका कहना था कि अभी तक हमें यह जानकारी फीड की जाती रही कि सभी लोग एक हैं इस आधार पर हमने इनकी मदद की जिसका नुकसान भी हमें झेलना पडा शहडोल चुनाव के बाद हमें स्पष्ट रूप से समझ में आया फिर भी हमें अभी तक एक हैं इसका फीडबैक देकर हमसे उठक बैठक जारी था आपकी स्पष्टता ने हमारी आंखें खोल दी । कहने का मतलब यह है कि काम एैसा करो कि भविष्य में आपको कोई गलत ना कहे । इसलिये खासकर गोंगपा के नेताओं से अनुरोध है कि वे अपनी स्पष्टता बनाये रखें मुटठी खुली हुई है तब मुटठी के बंधे होने का एहसास कराना मात्र मूर्खता ही है । भागोंपा के कार्यकर्ता कतई एैसा ना करें अपने आप को स्पष्ट होकर समुदाय के सामने जायें ।-gsmarkam

part-2 “गोंडवाना की राजनीति करना कहां आसान है, ३५ में या २० में “
छग में ३५ प्रतिशत आदिवासी है ,मप्र में २० प्रतिशत ,बतायें गोंडवाना की राजनीति आसानी से कहां सफल हो सकती है गोंडवाना की सरकार बनाने का सपना देखने वाले बुद्धिजीवियों जरा विचार करो । २००३ में २० प्रतिशत पर तीन विधायक ३५ प्रतिशत पर (० ) शून्य जरा विचार करो २०१८ में भागोपा को मप्र में अवसर दो ३ से ३० करना गुलजार सिंह मरकाम की जिम्मेदारी यदि गोंडवाना की राजनीति को सफल देखना चाहते हो तो , गोगपा छग में ३५ पर तीन विधा़यक जिताकर अपना चुनाव चिन्ह कुल्हाडी को रजिस्ट्र्ड करा सकती है । भागोपा को मप्र में चुनाव चिन्ह कुल्हाडी को रजिस्ट्र्ड कराने के लिये १३ विधायक जिताना होगा इसकी जिम्मेदारी मप्र भागोपा की है । यदि किसी भी दल के माध्यम से चुनाव चिन्ह कुल्हाडी को २०१८ में रजिस्ट्र्ड करा लिया गया तो यह चुनाव चिन्ह सभी प्रदेशों के लिये पक्का हो जायेगा । फैसला आपके हाथ में है । अपने पवित्र प्रतीक चिन्ह कुल्हाडी को मान्यता दिलाने में आपकी/समुदाय की/समर्थकों की क्या भूमिका होगी । अन्यथा राजनीति में नेत्रत्वकर्ता, कुत्ते बिल्ली का खेल दिखाकर समाज को केवल व्यक्तिगत लाभ के लिये उलझाये रखता है । लक्छय तक पहुंचना उसका मकसद नहीं होता ।-gsmarkam

Comments

Popular posts from this blog

"मरकाम गोत्र के टोटम सम्बन्धी किवदन्ती"

मध्यप्रदेश के गोन्ड बहुल जिला और मध्य काल के गोन्डवाना राज अधिसत्ता ५२ गढ की राजधानी गढा मन्डला के गोन्ड समुदाय में अपने गोत्र के पेन(देव) सख्या और उस गोत्र को प्राप्त होने वाले टोटेम सम्बन्धी किवदन्तिया आज भी यदा कदा प्रचलित है । लगभग सभी प्रचलित प्रमुख गोत्रो की टोटेम से सम्बन्धित किवदन्ति आज भी बुजुर्गो से सुनी जा सकती है । ऐसे किवदन्तियो का सन्कलन और अध्ययन कर गोन्डवाना सन्सक्रति के गहरे रहस्य को जानने समझने मे जरूर सहायता मिल सकती है । अत् प्रस्तुत है मरकाम गोत्र से सम्बन्धित हमारे बुजुर्गो के माध्यम से सुनी कहानी । चिरान काल (पुरातन समय) की बात है हमारे प्रथम गुरू ने सभी सभी दानव,मानव समूहो को व्यवस्थित करने के लिये अपने तपोभूमि में आमंत्रित किया जिसमें सभी समूह आपस में एक दूसरे के प्रति कैसे प्रतिबद्धता रखे परस्पर सहयोग की भावना कैसे रहे , यह सोचकर पारी(पाडी) और सेरमी(सेडमी/ ्हेडमी) नात और जात या सगा और सोयरा के रूप मे समाज को व्यवस्थित करने के लिये आमन्त्रित किया ,दुनिया के अनेको जगहो से छोटे बडे देव, दानव ,मानव समूह गुरू के स्थान पर पहुचने लगे , कहानी मे यह भी सुनने को मिलत

गोंडी धर्म क्या है

                                          गोंडी धर्म क्या है   गोंडी धर्म क्या है ( यह दूसरे धर्मों से किन मायनों में जुदा है , इसका आदर्श और दर्शन क्या है ) अक्सर इस तरह के सवाल पूछे जाते हैं। कई सवाल सचमुच जिज्ञाशा का पुट लिए होते हैं और कई बार इसे शरारती अंदाज में भी पूछा जाता है, कि गोया तुम्हारा तो कोई धर्मग्रंथ ही नहीं है, इसे कैसे धर्म का नाम देते हो ? तो यह ध्यान आता है कि इसकी तुलना और कसौटी किन्हीं पोथी पर आधारित धर्मों के सदृष्य बिन्दुवार की जाए। सच कहा जाए तो गोंडी एक धर्म से अधिक आदिवासियों के जीने की पद्धति है जिसमें लोक व्यवहार के साथ पारलौकिक आध्यमिकता या आध्यात्म भी जुडा हुआ है। आत्म और परआत्मा या परम आत्म की आराधना लोक जीवन से इतर न होकर लोक और सामाजिक जीवन का ही एक भाग है। धर्म यहॉं अलग से विशेष आयोजित कर्मकांडीय गतिविधियों के उलट जीवन के हर क्षेत्र में सामान्य गतिविधियों में संलग्न रहता है। गोंडी धर्म

“जय सेवा जय जोहार”

“जय सेवा जय जोहार”  जय सेवा जय जोहार” आज देश के समस्त जनजातीय आदिवासी समुदाय का लोकप्रिय अभिवादन बन चुका है । कोलारियन समूह ( प्रमुखतया संथाल,मुंडा,उरांव ) बहुल छेत्रों में “जोहार” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है । वहीं कोयतूरियन समूह (प्रमुखतया गोंड, परधान बैगा भारिया आदि) बहुल छेत्रों में “जय सेवा” का प्रचलन परंपरागत परंपरा से है साथ ही इन समूहों में हल्बा कंवर तथा गोंड राजपरिवारों में “जोहार” अभिवादन का प्रचलन है । जनजातीय आदिवासी समुदाय का बहुत बडा समूह “भीलियन समूह’( प् रमुखतया भील,भिलाला , बारेला, मीणा,मीना आदि) में मूलत: क्या अभिवादन है इसकी जानकारी नहीं परन्तु “ कणीं-कन्सरी (धरती और अन्न दायी)के साथ “ देवमोगरा माता” का नाम लिया जाता है । हिन्दुत्व प्रभाव के कारण हिन्दू अभिवादन प्रचलन में रहा है । देश में वर्तमान आदिवासी आन्दोलन जिसमें भौतिक आवश्यकताओं के साथ सामाजिक ,धार्मिक, सांस्क्रतिक पहचान को बनाये रखने के लिये राष्ट्रव्यापी समझ बनी है । इस समझ ने “भीलियन समूह “ में “जय सेवा जय जोहार” को स्वत: स्थापित कर लिया इसी तरह प्रत्येंक़ बिन्दु पर राष्ट्रीय समझ की आवश्यकता हैं । आदि