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समुदाय और सरकार की चुनौती

मध्यप्रदेश में सरकार और आदिवासियों के लिए प्रमुख चुनौती होगी।
(१) गोंडी भाषा तथा अन्य आदिवासी भाषाओं के प्राथमिक शिक्षा के लिए बनी समिति के उचित क्रियान्वयन पर समाज की मॉनिटरिंग। तथा ८ वीं अनुसूची में शामिल किए जाने हेतु विधानसभा से प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार को भेजने के लिए  दबाव।
(२) पांचवीं अनुसूची के उपबंध पेसा कानून के उचित क्रियान्वयन के लिए उसके नियम बनाए जाने हेतु समिति का गठन एवम् समाज द्वारा उसकी मॉनिटरिंग।
(३)जनजातीय घोषित जिले एवम् विकासखंडों में हर विभाग में जनजातीय समुदाय के अधिकारी कर्मचरियों की नियुक्ति कराने हेतु सरकार पर दबाव।
(४) वनाधिकार के व्यक्तिगत,और सामुदायिक दावों का ईमानदारी और निष्ठा से अनुपालन। तथा राज्य सरकार की ओर से सुप्रीकोर्ट में जोरदार पैरवी हेतु सामाजिक दबाव।
(५) अनुसूचित घोषित जिले और विकास खंडों में नगर निकाय नगर पालिका की घुसपैठ को प्रतिबंधित करना।
(६) ग्राम सभाओं के प्रस्ताव को हर स्तर पर महत्व देना।
(७) अनुसूचित घोषित क्षेत्रों में स्वायत्त परिषद या समिति का गठन कराने पर दबाव बनाना।
(८) टी एस पी की राशि का दुरुपयोग रोकने पर वक्र दृष्टि।
(९) छात्रवृति का समय पर आबंटन।
(१०)नौकरियों में आरक्षण व्यवस्था और रोस्टर पर उचित निगरानी।
नोट:-(इसके अतिरिक्त अन्य महत्वूर्ण बिंदुओं पर समुदाय की कड़ी नजर हो,इसके लिए सिविल सोसाइटी की ओर से राज्य स्तरीय आदिवासी टास्कफोर्स बनाया जाय जो समय समय पर शासन प्रशासन से सीधा संवाद कर सके।)- गुलजार सिंह मरकाम राष्ट्रीय संजोयक गों स क्रा आं

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