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संसद पर कोर्ट का दखल स्वाभाविक नहीं सोची समझी रणनीति को हिस्सा है ।

"किसी भी राष्ट्रीय स्तर के महत्वपूर्ण निर्णयों के संदर्भ में कोर्ट की भूमिका"
(संसद पर कोर्ट का दखल स्वाभाविक नहीं सोची समझी रणनीति को हिस्सा है ।)
पंगु संसद हर बात और हर प्रकरण चाहे बाबरी कांड भृष्टाचार या आरक्षण या अन्य मुददों को कोर्ट में लाकर जनता का घ्यान कोर्ट की तरफ ले जा रही है, उसे शक्तिशाली बनाना चाहती है । ताकि संसद की जिम्मेदारियों कमियों को भुलाया जा सके और कोर्ट को महत्वपूर्ण बताकर कोर्ट के माध्यम से शक्ति को केंद्रित करना चाहती है । संसद की असीम शक्ति को जो विपक्ष और जनपक्ष की समझ वाले कुछ जनप्रतिनिधि और विचारकों के चलते संविधान में बदलाव कभी नही कर सकती । एैसे मौके पर आर एस एस का एकात्मवाद और तानाशाही दर्शन को कोर्ट के माध्यम से उसे शक्तिशाली बनाकर फिर उसे अपने हाथ में लेकर हिटलरी लक्ष्य को हासिल किया जा सके । यही नाटक समय समय पर चलता रहेगा । इसे समझने की आवश्यकता है । आप हम जनता हैं सूक्ष्म समज की कमी के चलते बहुतेरे मौके पर भावनाओं में बहकर अपनी धारणा बदल कर तुरंत सोचने और व्यवहार में उतर आते हैं । 

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